PM Vishwakarma Yojana 2025: सिर्फ 3 डॉक्यूमेंट से मिलेगा लोन – जल्दी करें आवेदन

Published On: July 15, 2025
PM Vishwakarma Yojana 2025

भारत में पारंपरिक कारीगर और शिल्पकार समाज का बहुत अहम हिस्सा हैं। ये लोग पीढ़ियों से अपने हुनर और मेहनत से देश की संस्कृति और अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाते आए हैं। लेकिन बदलते समय के साथ इनकी आर्थिक स्थिति और काम के साधनों में कई मुश्किलें आई हैं।

सरकार ने इन कारीगरों की मदद के लिए प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना 2025 शुरू की है, जिससे वे अपने हुनर को और बेहतर बना सकें और आर्थिक रूप से मजबूत हो सकें। यह योजना खास तौर पर उन लोगों के लिए है जो लकड़ी, धातु, मिट्टी, कपड़े, सोना-चांदी या अन्य पारंपरिक काम करते हैं। योजना का मकसद है कि इन लोगों को न सिर्फ आर्थिक सहायता मिले, बल्कि उन्हें नए औजार, ट्रेनिंग और बाजार तक पहुंच भी मिले।

इससे वे अपने काम में आगे बढ़ सकें और अपनी आमदनी बढ़ा सकें। सरकार का मानना है कि अगर कारीगरों को सही साधन, ट्रेनिंग और मदद मिले, तो वे अपने काम में और भी निपुण हो सकते हैं। इसी सोच के साथ प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना 2025 को पूरे देश में लागू किया गया है, ताकि हर कारीगर को उसका हक और सम्मान मिल सके।

What is PM Vishwakarma Yojana 2025?

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना 2025 एक केंद्र सरकार की योजना है, जिसे 17 सितंबर 2023 को शुरू किया गया था। इस योजना का उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को आर्थिक और तकनीकी सहायता देना है। योजना के तहत 18 तरह के पारंपरिक काम करने वाले लोगों को फायदा मिलेगा, जैसे बढ़ई, लोहार, सुनार, कुम्हार, दर्जी, नाई, धोबी, जूता बनाने वाले, खिलौना बनाने वाले, मछली जाल बनाने वाले आदि।

इस योजना के तहत सरकार कारीगरों को पहचान पत्र और सर्टिफिकेट देती है, जिससे उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ आसानी से मिल सके। इसके अलावा, उन्हें कौशल विकास के लिए ट्रेनिंग, नए औजार खरीदने के लिए पैसे, कम ब्याज पर लोन, डिजिटल लेन-देन के लिए प्रोत्साहन और बाजार में अपने उत्पाद बेचने के लिए मदद मिलती है।

योजना का मुख्य उद्देश्य है कि पारंपरिक कारीगरों को आत्मनिर्भर बनाया जाए, उनकी आमदनी बढ़ाई जाए और उनके काम को देश-विदेश के बाजारों तक पहुंचाया जाए। इसके लिए सरकार ने 13,000 से 15,000 करोड़ रुपये का बजट तय किया है, जो अगले पांच सालों तक खर्च किया जाएगा।

योजना के मुख्य फायदे

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना 2025 के तहत कारीगरों को कई तरह के फायदे दिए जाते हैं। सबसे पहले, उन्हें सरकार द्वारा पहचान पत्र और सर्टिफिकेट मिलता है, जिससे वे सरकारी योजनाओं में आसानी से शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा, उन्हें 5-7 दिन की बेसिक ट्रेनिंग और 15 दिन की एडवांस ट्रेनिंग दी जाती है। ट्रेनिंग के दौरान हर दिन 500 रुपये की सहायता राशि दी जाती है।

कारीगरों को नए औजार खरीदने के लिए 15,000 रुपये तक का टूलकिट इंसेंटिव भी मिलता है। अगर कोई कारीगर अपना काम बढ़ाना चाहता है, तो उसे पहली बार में 1 लाख रुपये और दूसरी बार में 2 लाख रुपये तक का लोन सिर्फ 5% ब्याज दर पर मिल सकता है। इस लोन के लिए किसी गारंटी की जरूरत नहीं होती।

डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए सरकार हर ट्रांजैक्शन पर 1 रुपये का इंसेंटिव देती है। इसके अलावा, सरकार मार्केटिंग और ब्रांड प्रमोशन में भी मदद करती है, जिससे कारीगर अपने उत्पाद ज्यादा लोगों तक बेच सकें। इन सभी सुविधाओं से कारीगरों की आमदनी बढ़ती है और उनका जीवन स्तर सुधरता है।

योजना के लिए पात्रता और आवेदन प्रक्रिया

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का लाभ लेने के लिए कुछ जरूरी शर्तें हैं। आवेदक की उम्र 18 से 60 साल के बीच होनी चाहिए और वह भारत का नागरिक होना चाहिए। उसे किसी पारंपरिक शिल्प या कारीगरी से जुड़ा होना जरूरी है। इसके अलावा, उसके पास आधार कार्ड और मोबाइल नंबर होना चाहिए।

आवेदन की प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन है, लेकिन जिन लोगों को ऑनलाइन आवेदन में दिक्कत आती है, वे अपने नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) या ग्राम पंचायत में जाकर आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के लिए सबसे पहले मोबाइल और आधार वेरिफिकेशन होता है। उसके बाद कारीगर का रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरना होता है। फिर दस्तावेजों की जांच और वेरिफिकेशन तीन स्तरों पर होती है—ग्राम पंचायत, जिला और राज्य स्तर पर।

सभी वेरिफिकेशन के बाद कारीगर को डिजिटल आईडी, सर्टिफिकेट और पहचान पत्र मिल जाता है। इसके बाद वह ट्रेनिंग, टूलकिट, लोन और अन्य सभी सुविधाओं का लाभ ले सकता है। आवेदन की कोई अंतिम तिथि नहीं है, कारीगर वित्तीय वर्ष 2027-28 तक कभी भी आवेदन कर सकते हैं।

योजना से जुड़ी कुछ खास बातें

यह योजना पूरे देश के ग्रामीण और शहरी कारीगरों के लिए है। सरकार का लक्ष्य है कि करीब 30 लाख कारीगरों को इस योजना का लाभ मिले। योजना का संचालन सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (MSME) द्वारा किया जाता है। योजना का मकसद सिर्फ आर्थिक मदद देना नहीं है, बल्कि कारीगरों को आत्मनिर्भर बनाना और उनके हुनर को नई पहचान दिलाना है।

निष्कर्ष

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना 2025 कारीगरों और शिल्पकारों के लिए एक बहुत बड़ी सौगात है। इससे उन्हें आर्थिक, तकनीकी और सामाजिक रूप से मजबूती मिलती है। अगर आप भी पारंपरिक कारीगरी से जुड़े हैं, तो इस योजना का लाभ जरूर उठाएं और अपने भविष्य को बेहतर बनाएं।

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