MSP Hike 2025: किसानों को ₹2700 MSP और ₹8000 का पैकेज – छूट न जाए ये सुनहरा मौका

Published On: August 1, 2025
MSP Hike 2025

किसानों के लिए 2025 एक बड़ी राहत की खबर लेकर आया है। केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी के साथ ही कई नई योजनाओं का ऐलान किया है। इससे देश के लाखों-करोड़ों किसानों को उनकी मेहनत का उचित दाम मिलेगा और उनकी आय में भी बढ़ोतरी होगी।

इस फैसले के पीछे सरकार का मकसद किसानों को उन्नत जीवन, घाटे से बचाव और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है। भारत में खेती सिर्फ जीविका का साधन नहीं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। पिछले कुछ वर्षों से किसानों को उनकी फसल का पर्याप्त मूल्य नहीं मिल पा रहा था, जिस कारण उनकी आर्थिक हालत काफी प्रभावित हो रही थी।

अब MSP समेत विभिन्न सरकारी योजनाओं में सुधार और बढ़ोतरी ने किसानों की उम्मीदों को नयी उड़ान दी है। MSP बढ़ोतरी खास तौर पर छोटे और सीमांत किसानों के लिए राहत लेकर आई है।

MSP Hike 2025 – Latest Details

सरकार ने 2025-26 में खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में ऐतिहासिक बढ़ोतरी की है। यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मई 2025 में लिया गया। इसमें कुल 14 खरीफ फसलों के लिए MSP बढ़ाया गया है और सरकार ने बिलकुल स्पष्ट किया है कि किसानों को उनकी फसल के लागत मूल्य से कम-से-कम 50% ज्यादा दाम मिलेगा।

इस फैसले के तहत नाइजरसीड (रामतिल) को सबसे ज्यादा 820 रुपये प्रति क्विंटल MSP बढ़ोतरी मिली है। वहीं, रागी (फिंगर मिलेट) के लिए 596 रुपये, कपास के लिए 589 रुपये और तिल (सेसमम) के लिए 579 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा बाजरा, ज्वार, मक्का, अरहर (तूर), मूंग, उड़द, मूंगफली, सूर्यमुखी और सोयाबीन जैसी फसलों के लिए भी MSP में 50% या उससे अधिक का लाभ सुनिश्चित किया गया है।

सरकार का लक्ष्य किसानों को लागत से कम-से-कम डेढ़ गुना दाम देना है, जिसके चलते बाजरा पर 63%, मक्का और अरहर पर 59%, उड़द पर 53% मुनाफा, और बाकी सभी फसलों पर भी न्यूनतम 50% से अधिक का मुनाफा सुनिश्चित किया गया है। इससे किसानों को अपनी फसल बेचने में घाटा नहीं होगा, बल्कि वे निश्चित लाभ कमा सकेंगे।

फसल प्रकारMSP बढ़ोतरी 2025 (₹/क्विंटल)
नाइजरसीड820
रागी596
कपास589
तिल (सेसमम)579
मक्का175
बाजरा150
ज्वार328
धान (पैडी)69
अरहर (तूर)450
मूंग86
उड़द400
मूंगफली480
सूर्यमुखी441
सोयाबीन436

यह नई MSP नीति खासतौर पर उन राज्यों के किसानों के लिए फायदेमंद है जहां पर ये खरीफ फसलें व्यापक रूप से बोई जाती हैं, जैसे – मध्यप्रदेश, गुजरात, कर्नाटका, ओडिशा और तमिलनाडु।

सरकार की कृषि योजनाएं 2025

केवल MSP ही नहीं, सरकार ने किसानों के लिए कई खास योजनाएं भी लागू की हैं, जिनसे खेती करने वाले लोगों को आर्थिक सुरक्षा और तकनीकी सहायता मिल सकती है।

  • प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN): इसके तहत छोटे और सीमांत किसानों को सालाना 6,000 रुपये की सीधी मदद उनकी बैंक खाते में तीन किस्तों में मिलती है।
  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY): यह योजना प्राकृतिक आपदाओं, सूखा, बाढ़, कीट या रोग के कारण फसल नुकसान पर बीमा सुरक्षा देती है। किसानों को कम प्रीमियम दरों पर पूरी बीमा कवर मिलता है।
  • किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना: इसमें किसानों को फसल उत्पादन, उपकरण, बीज और अन्य कृषि जरूरतों के लिए सस्ती दर पर लोन मिलता है, जिसे समय पर चुकाने पर ब्याज सब्सिडी भी मिलती है।
  • प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY): किसानों को सूक्ष्म सिंचाई (ड्रिप, स्प्रिंकलर) के लिए सब्सिडी मिलती है, जिससे पानी की बचत और अधिक पैदावार संभव होती है।
  • राष्ट्रीय कृषि बाजार (e-NAM): किसानों को अपनी उपज देशभर के बाजारों में ऑनलाइन बेचने की सुविधा मिलती है, जिससे उन्हें बेहतर दाम मिलते हैं और बिचौलियों पर निर्भरता घटती है।

MSP का सीधा फायदा कैसे मिलेगा

किसान अपनी उपज स्थानीय मंडियों में या सरकारी खरीद केंद्रों पर बेच सकते हैं। सरकार हर मंडी या इलाके में MSP पर खरीद के लिए केंद्र बनाती है, जहां किसान फसल बेचकर भुगतान पा सकते हैं। नई योजनाओं में किसानों को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान भी चलाए जाएंगे।

यदि किसान प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, फसल बीमा योजना या किसान क्रेडिट कार्ड जैसी योजनाओं का लाभ उठाना चाहते हैं, तो उन्हें नजदीकी कृषि विभाग या संबंधित सरकारी वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करना होगा। रजिस्ट्रेशन के बाद, पात्रता के अनुसार पैसा या अन्य लाभ सीधे किसान के बैंक खाते में जाता है।

निष्कर्ष

2025 में MSP में 50% से ज्यादा मुनाफे की गारंटी और कृषि योजनाओं के विस्तार ने देश के किसानों के चेहरे पर मुस्कान लौटाई है। सरकार की ये पहल उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाएगी और भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा देगी। आने वाले समय में यह निर्णय खेती को घाटे का नहीं, बल्कि एक सचमुच फायदेमंद व्यवसाय बना देगा।

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