दिल्ली में अवैध कालोनियों की समस्या वर्षों से बनी हुई है और इस पर सरकार लगातार कार्रवाई करती रही है। हाल ही में दिल्ली सरकार और दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने बुलडोजर अभियान तेज करने का फैसला किया है, जिसमें कई अवैध या अनधिकृत कॉलोनियों को हटाया जाएगा। यह कदम राजधानी की अवैध कॉलोनियों को लेकर बढ़ती भीड़ और बुनियादी आवासीय सुविधाओं की कमी को देखते हुए उठाया गया है। इस अभियान के तहत जिन कॉलोनियों को मास्टर प्लान और पर्यावरण नियमों के खिलाफ माना जाता है, उन पर बुलडोजर चल सकता है। इस खबर ने कई परिवारों में चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि अवैध कॉलोनियों में रहने वाले लाखों लोग प्रभावित होंगे।
इस अभियान के पीछे मुख्य उद्देश्य दिल्ली को साफ-सुथरा और व्यवस्थित बनाना है ताकि शहर के विकास को आगे बढ़ाया जा सके। सरकार ने कुछ कॉलोनियों का नियमितीकरण करने की योजना भी बनाई है, जिससे उनके निवासी कानूनी अधिकार प्राप्त कर सकेंगे। इस प्रक्रिया के तहत जनता को भी वैकल्पिक आवास उपलब्ध कराने की कोशिश की जा रही है, जबकि जिन कॉलोनियों को हटाना जरूरी होगा, उन्हें साफ कर दिया जाएगा। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कौन-कौन सी कॉलोनियां इस बुलडोजर अभियान की सूची में हैं, किस योजना के तहत यह कार्रवाई हो रही है, सरकार की क्या नीति है और इस पूरे मामले से जुड़े मुख्य पहलू क्या हैं।
दिल्ली की अवैध कॉलोनियों पर बुलडोजर अभियान
दिल्ली में लगभग 1,797 अवैध कॉलोनियां हैं, जिनमें से 1,731 को सरकार ने पहचान दी है। लेकिन सभी कॉलोनियों को नियमित नहीं किया जा सकता क्योंकि कई कॉलोनियां मास्टर प्लान और पर्यावरण नियमों के खिलाफ हैं। इसलिए उन पर बुलडोजर चलाने की तैयारी हो रही है। हाल ही में जिन कॉलोनियों का नाम इस अभियान में सामने आया है, उनमें प्रमुख हैं श्रम विहार (दक्षिण दिल्ली), बटला हाउस (ओखला), जहीर नगर, जसोला एक्सटेंशन, संगम विहार, किराड़ी (नांगलोई), बदरपुर (जेतपुर), अम्बेडकर कॉलोनी (छतरपुर), मजनू का टीला, जंगपुरा, कालिंदी कॉलोनी, Jahangirpuri, तथा यमुना किनारे की कई बस्तियां। इन इलाकों में Delhi Development Authority (DDA) और Municipal Corporation of Delhi (MCD) ने नोटिस जारी कर मकान खाली करने के आदेश दिए हैं।
सरकार की ओर से यह साफ किया गया है कि यह कार्रवाई उन्हीं कॉलोनियों के विरुद्ध होगी, जो नियमों के तहत नियमित नहीं की जा सकतीं। कार्यवाही के दौरान कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है, तथा कोर्ट के आदेश और मास्टर प्लान की जांच के बाद बुलडोजर अभियान आगे बढ़ाया जा रहा है। साथ ही प्रभावित लोगों को राहत देने के लिए वैकल्पिक आवासों की व्यवस्था पर भी काम चल रहा है। इस कारण यह अभियान सामाजिक और कानूनी दोनों दृष्टिकोण से संवेदनशील मामलों में से एक बना हुआ है।
PM-UDAY योजना और सरकार की पहल
दिल्ली सरकार ने अवैध कॉलोनियों के मुद्दे को देखते हुए प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना – उज्जवल दिल्ली (PM-UDAY) नाम की योजना लागू की है। इस योजना का मकसद अवैध कॉलोनियों में रहने वाले व्यक्तियों को उनके घरों का कानूनी मालिकाना हक प्रदान करना है। इसके तहत कॉलोनियों को नियमित करने की प्रक्रिया तेज की जा रही है जिससे लोगों को घर के वास्तविक स्वामित्व का अधिकार मिल सके।
PM-UDAY योजना के तहत, जिन कॉलोनियों में प्लानिंग पीछे हो चुकी है या जो पर्यावरण संरक्षण के नियमों के खिलाफ नहीं हैं, उनकी नियमितीकरण प्रक्रिया पूरी की जाएगी। वहीं जिन कॉलोनियों को हटाना जरूरी है, वहां बुलडोजर चलाने के बाद स्थान साफ किया जाएगा ताकि शहर की साफ-सफाई और विकास में बाधाएं दूर हो सकें। सरकार का दावा है कि इस तरह की कार्रवाई से न केवल बुनियादी सरंचना बेहतर होगी, बल्कि दिल्ली के मास्टर प्लान के अनुरूप विकास भी सुनिश्चित होगा।
सरकार ने यह भी कहा है कि कार्रवाई के दौरान प्रभावित लोगों को वैकल्पिक आवास उपलब्ध कराए जाएंगे और उचित मुआवजा भी दिया जाएगा ताकि उनकी दिनचर्या प्रभावित न हो। इसलिए PM-UDAY योजना के तहत बुलडोजर अभियान को संतुलित और न्यायसंगत तरीके से चलाया जा रहा है। साथ ही यह पहल दिल्ली की आदिवासी, कामगार और गरीब आबादी की सुरक्षा के लिए सोच विचार के साथ योजना बनाई गई है।
बुलडोजर अभियान के सामाजिक और कानूनी पहलू
दिल्ली में अवैध कॉलोनियों पर बुलडोजर चलाना एक संवेदनशील मुद्दा है क्योंकि यहां लाखों लोग लंबे समय से रहते आ रहे हैं। इनके पास वैकल्पिक रहने का कोई विकल्प नहीं होता। इसलिए कई बार इस अभियान के दौरान महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के हितों को ध्यान में रखते हुए अतिरिक्त सावधानी बरती जाती है। हालांकि सरकार ने स्पष्ट किया है कि कानूनी प्रक्रिया के तहत ही मकानों को तोड़ा जाएगा और बिना नोटिस के कार्रवाई नहीं की जाएगी।
कानूनी तौर पर, DDA और MCD के पास दिल्ली विकास अधिनियम (DDA Act) के तहत अवैध निर्माण हटाने का अधिकार है। साथ ही पर्यावरण संरक्षण कानून भी यमुना किनारे और संवेदनशील इलाकों में अवैध निर्माण को रोकता है। सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालय के फैसलों के अनुसार, जब तक मकान मालिकों को नोटिस नहीं मिलती, उन्हें हटाया नहीं जा सकता। लेकिन मास्टर प्लान और सरकारी निर्देशों के आधार पर सरकार को कॉलोनियों को हटाने का भी अधिकार है जो शहर के सामरिक विकास के लिए जरूरी हैं।
इस अभियान के चलते पहलुओं के बीच संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण है क्योंकि अवैध कॉलोनियों को हटाने से लोगों का जीवन प्रभावित होता है, वहीं शहर की डिवेलपमेंट, पर्यावरण और बुनियादी सुविधाओं में सुधार भी जरूरी है। इसी कारण पुलिस सुरक्षा के साथ व्यवस्था भी चाक-चौबंद रखी जाती है ताकि लोगों को परेशानी कम हो।
दिल्ली की प्रमुख अवैध कॉलोनियां
बुलडोजर अभियान की सूची में आने वाली कुछ प्रमुख कॉलोनियां इस प्रकार हैं:
- श्रम विहार (दक्षिण दिल्ली)
- बटला हाउस (ओखला)
- जहीर नगर (ओखला)
- जसोला एक्सटेंशन (दक्षिण-पूर्वी दिल्ली)
- संगम विहार (दक्षिण दिल्ली)
- किराड़ी (नांगलोई, पश्चिम दिल्ली)
- बदरपुर (जेतपुर, दक्षिण-पूर्वी दिल्ली)
- अम्बेडकर कॉलोनी (छतरपुर)
- मजनू का टीला (उत्तर दिल्ली)
- जंगपुरा और कालिंदी कॉलोनी के आसपास (दक्षिण दिल्ली)
- Jahangirpuri एवं तुगलकाबाद किले के पास
- यमुना किनारे की कई बस्तियां
- अशोक विहार (जेलरवाला बाग)
- वज़ीरपुर (रेलवे लाइन के पास)
इन इलाकों में सरकार ने साफ-साफ निर्देश दिए हैं कि 15 दिनों के अंदर मकान खाली करने होंगे। साथ ही कई जगहों पर कार्रवाई शुरू हो चुकी है और मकान गिराए जा चुके हैं।
निष्कर्ष
दिल्ली की अवैध कॉलोनियों पर बुलडोजर अभियान राजधानी की सफाई और नियोजन के लिए एक ज़रूरी कदम है। हालांकि इससे हजारों परिवार प्रभावित होंगे, मगर PM-UDAY जैसी योजनाओं के जरिए सरकार आवासीय अधिकार देने के साथ वैकल्पिक समाधान भी प्रदान कर रही है। यह कार्रवाई दिल्ली को एक व्यवस्थित, साफ सुथरा और कानूनी दायरे में लाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास है।