आजकल देश के अलग-अलग राज्यों में महिलाओं के लिए फ्री बस यात्रा की सुविधा काफी सुर्खियों में रही है। सरकार ने महिलाओं को सशक्त बनाने और उनकी सुरक्षा को देखते हुए मुफ्त बस यात्रा का फैसला लिया था, जिससे लाखों महिलाएं रोज़ अपने काम, पढ़ाई या अन्य जरूरी कार्यों के लिए आसानी से यात्रा कर रही थीं। यह सुविधा खास तौर पर उन महिलाओं के लिए फायदेमंद साबित हुई है, जिनके पास रोजाना बस का किराया देने की सुविधा नहीं थी।
फ्री बस सेवा ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को नौकरी, शिक्षा और दूसरे कामों के लिए घर से बाहर निकलना आसान कर दिया। इससे महिलाओं की आर्थिक स्थिति पर भी सकारात्मक असर देखने को मिला है। साथ ही, इस योजना की वजह से परिवारों में महिलाओं का सामाजिक रुतबा भी बढ़ा है क्योंकि अब वे बिना आर्थिक बोझ के कहीं भी जा सकती हैं।
1 अगस्त से बंद होने वाली फ्री बस सेवा – क्या है असलियत?
हाल ही में ऐसी खबरें तेजी से फैली हैं कि 1 अगस्त से महिलाओं के लिए फ्री बस सेवा बंद हो सकती है। सरकार ने इस बारे में महत्वपूर्ण बैठकें भी की हैं। इस मामले को लेकर लोगों में चिंता बढ़ गई है, खासकर उन महिलाओं में जो पूरी तरह इस सेवा पर निर्भर हैं। ज्यादातर राज्यों में यह सेवा राज्य सरकारों द्वारा शुरू की गई थी, जिसमें दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मदर प्रदेश जैसे राज्य शामिल हैं।
सरकार ने इन योजनाओं के तहत महिलाओं को सरकारी बसों में मुफ्त यात्रा की सुविधा दी थी। इसके लिए सरकार हर महीने बस कंपनियों को फंड देती रही है। हालात ऐसे बने हैं कि बढ़ती लागत और फंड की कमी के चलते इस योजना को लेकर सवाल उठने लगे हैं। कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि 1 अगस्त से फ्री बस सेवा बंद करने की संभावना है। हालांकि, पूरी तरह से योजना बंद करने या उसमें कोई बड़ा बदलाव करने को लेकर अब तक अंतिम फैसला नहीं आया है, लेकिन सरकार से जुड़े कई अधिकारी आर्थिक स्थिति का हवाला देकर इसमें बदलाव के संकेत दे चुके हैं।
राज्य सरकारें इस विषय पर अपने-अपने स्तर पर विचार कर रही हैं। दिल्ली सरकार, जिसने सबसे पहले यह सेवा शुरू की थी, का कहना है कि अभी इस पर कोई आखिरी निर्णय नहीं हुआ है। वहीं, कुछ राज्यों में फंडिंग और बजट के चलते इस सेवा को सीमित करने या बंद करने की चर्चा है।
यह योजना किसके लिए थी और कैसे मिल रही थी सुविधा?
फ्री बस सेवा योजना केवल महिलाओं के लिए थी। इसमें छात्राओं से लेकर वरिष्ठ महिला नागरिक, कामकाजी महिलाएं, घरेलू कामकाज करने वाली महिलाएं, सभी लाभान्वित हो रही थीं। महिलाएं अपने पहचान पत्र या स्कीम के अनुसार जारी कार्ड दिखाकर बस में फ्री यात्रा कर सकती थीं।
कुछ राज्यों में महिला यात्रियों के लिए पिंक टिकट या प्रधानमंत्री महिला सम्मान योजना के तहत अलग पहचान पत्र भी जारी किए गए, जिससे उनको आसानी से यह सुविधा मिलती थी। जिन राज्यों में यह सुविधा लागू थी, वहां परिवहन विभाग की तरफ से बाकायदा निगरानी भी की जाती थी कि कोई पुरुष इस योजना का गलत फायदा ना उठा सके।
क्या है सरकार का बड़ा फैसला?
योजना के बंद होने की खबर आते ही महिलाओं में मायूसी देखी जा रही है, क्योंकि इससे उनकी रोज़मर्रा की जिंदगी पर असर पड़ सकता है। सरकार ने साफ किया है कि अगर कोई बदलाव किया जाता है तो उसका मकसद सिर्फ बजट और फंडिंग को लेकर है, ताकि अन्य जरूरी योजनाओं के लिए भी पैसे का सही उपयोग हो सके।
सरकार यह भी सोच रही है कि कुछ विशेष श्रेणी की महिलाओं को ही फ्री सेवा दी जाए, जैसे गरीब परिवार, छात्राएं या फिर अकेली महिलाएं। इसे लेकर अधिकारियों ने सुझाव दिया है कि जो महिलाएं आर्थिक रूप से कमजोर हैं, उन्हें इस योजना का ज्यादा लाभ मिलना चाहिए।
महिलाओं के लिए आगे क्या विकल्प?
अगर सरकार यह सेवा बंद करती है तो सबसे ज्यादा दिक्कत उन महिलाओं को आएगी जो रोजमर्रा की आय या पढ़ाई के लिए इस सेवा पर निर्भर हैं। ऐसे में महिलाओं को या तो प्राइवेट ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करना पड़ेगा या सरकार के नए नियमों का इंतजार करना होगा।
कई राज्य सरकारें विकल्प के तौर पर छूट या आंशिक फ्री राइड जैसी योजनाएं शुरू कर सकती हैं, जिसमें कुछ प्रतिशत किराया ही महिलाओं को देना पड़े।
नतीजा
फ्री बस सेवा महिलाओं के लिए एक राहत देने वाली योजना साबित हुई थी। अगर यह योजना 1 अगस्त से बंद होती है, तो यह कई घरों की रूटीन लाइफ पर असर डालेगी। हालांकि, सरकार कह रही है कि कोई भी फैसला लेने से पहले जनता और महिलाओं की परेशानियों पर जरूर विचार किया जाएगा। आने वाले दिनों में सरकार की तरफ से इस बारे में और जरूरी ऐलान किए जा सकते हैं।