पिछले कुछ दिनों में आयकर विभाग ने एक बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया, जिसमें पता चला कि अवैध रूप से बड़ी मात्रा में नगदी छुपाकर रखी जा रही थी। इस कार्रवाई ने पूरे देश का ध्यान खींचा, जब अधिकारियों को नोटों को गिनने के लिए तीन दर्जन से ज्यादा मशीनों और कई बैंक कर्मियों को बुलाना पड़ा। उतनी नगदी थी कि उन्हें ट्रकों में भरकर ले जाना पड़ा। पूरी कार्रवाई सुरक्षा घेरे में हुई और हर स्तर पर विभाग ने पूरी सख्ती दिखाई।
यह छापेमारी आम तौर पर उन जगहों पर की जाती है, जहां बड़ी मात्रा में टैक्स चोरी की आशंका होती है। ऐसी कार्रवाई सरकार की उस योजना के अंतर्गत आती है, जिसमें कालेधन और टैक्स चोरी के मामलों पर गंभीर नजर रखी जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार विभाग की तैयारी और तकनीक पहले से कहीं ज्यादा मजबूत है। नकद रकम इतनी ज्यादा थी कि उसे विभाग अपने साथ ट्रकों में भरे-भरे ले गया, जिससे नोट गिनने के लिए अतिरिक्त लोगों की ज़रूरत पड़ी।
Income Tax Raid
इस कार्रवाई के पीछे सरकार की लगातार कोशिश है कि देश में कर चोरी पर लगाम लगाई जाए। आयकर विभाग के पास अब ऐसे नियम और अधिकार हैं, जिनसे वह संदिग्ध और बड़ी लेनदेन वालों की तलाशी, जांच और जब्ती कर सकता है। इस बार दिल्ली, उत्तर प्रदेश और आसपास के इलाकों में नकदी की जब्ती के मामले सामने आए, जिसमें अधिकारियों ने रिकॉर्ड तोड़ नोट बरामद किए। नोटों को गिनने के लिए कई बैंक कर्मियों और 33 से ज्यादा गिनने की मशीनें लगाई गईं।
इस ऑपरेशन को बेहद गोपनीय और सुरक्षित रखा गया था। विभाग की टीमें अपनी खास जांच के आधार पर अलग-अलग जगहों पर छापे मारती हैं और जहां भी दस्तावेज, सोना या बड़ी नकद रकम पाई जाती है, उसे तुरंत कब्जे में ले लिया जाता है। इस बार गिनती करते हुए अधिकारियों को कई घंटे लग गए, क्योंकि रकम इतनी अधिक थी कि उसे ट्रकों में भरना पड़ा।
किस योजना के तहत हो रही है कार्रवाई?
यह कार्रवाई सीधे तौर पर सरकार की काले धन के खिलाफ चल रही मुहिम और आयकर अधिनियम के मुताबिक की जाती है। आयकर विभाग टैक्स चोरी करने वालों के खिलाफ धारा 132 के तहत सर्च और सीजर (जब्ती) की कार्रवाई करता है। इसका साफ मतलब है – यदि किसी के यहां अचानक बहुत ज्यादा नगदी, सोना या कीमती सामान पाया जाता है, जिसकी जानकारी आयकर रिटर्न में नहीं दी गई है, तो उसे तत्काल जब्त कर लिया जाता है।
इस दौरान कब्जे में ली गई संपत्ति को सरकारी ट्रेजरी या बैंक में जमा कराया जाता है और उसकी पूरी गिनती तथा जांच की जाती है। अगर कोई व्यक्ति या संस्था अपनी आय का सही-सही ब्यौरा नहीं देता या झूठा आईटीआर दाखिल करता है, उसे भारी जुर्माना और जेल की सजा भी हो सकती है। नए नियमों के मुताबिक, विभाग के पास संदेह होने पर ताकत है कि वह लॉकर, तिजोरी, डिजिटल डाटा सहित सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त कर जांच शुरू करे।
कार्रवाई में बैंक कर्मचारियों और नोट गिनने की मशीनों का क्या रोल?
आयकर विभाग के लिए इतने बड़े पैमाने पर नकदी गिनना एक लंबा और जिम्मेदार काम है। इसलिए बैंक के विश्वसनीय कर्मचारियों को बुलाया जाता है, ताकि गिनती में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या धोखाधड़ी न हो। नोट गिनने की मशीनों के साथ-साथ, बैंक अधिकारी पूरे कागजों की जांच करते हैं और हर लेन-देन का मिलान करते हैं।
हर मशीन में 24 घंटे तक पैसे गिनने का सिलसिला चलता रहता है, ताकि पूरी रकम का सही-सही आंकलन हो सके। जितने ज्यादा नोट, उतने ही ज्यादा बैंक कर्मी और मशीनें – यही वजह है कि इस बार कार्रवाई के लिए तीन दर्जन नोट गिनने की मशीनें लगानी पड़ी थीं।
सरकार और आयकर विभाग की तरफ से क्या प्रावधान है?
सरकार ने नए इनकम टैक्स कानून में विभाग को ये हक दिया है कि वह टैक्स चोरी पकड़े जाने पर बड़ी सख्त कार्रवाई करे। अब अधिकारियों को घर में छापा मारने, तिजोरी तोड़ने और सभी जरुरी संपत्ति व डाक्यूमेंट्स जब्त करने का अधिकार है। इस तरह की कार्रवाई में, जो रकम या संपत्ति सरकार जब्त कर लेती है, वो तब तक वापस नहीं मिलती, जब तक पूरी जांच-पड़ताल और कानूनी प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती।
यदि किसी व्यक्ति या संस्था की आयकर रिटर्न में भारी गड़बड़ी, फर्जी डॉक्यूमेंट या गलत दावा पाया जाए, तो दंड में 200% जुर्माना और 7 साल तक की जेल भी हो सकती है। इसके साथ ही, आयकर का नया कानून तकनीकी और डिजिटल स्तर पर भी जांच-पड़ताल को मजबूत करता है, जिससे कोई छुपा नहीं रह सकता।
निष्कर्ष
यह कार्रवाई सरकार की काले धन और टैक्स चोरी के खिलाफ चल रही लड़ाई का अहम हिस्सा है। आयकर विभाग की सख्ती से यह संदेश गया है कि गलत कमाई और टैक्स में गड़बड़ी करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। सरकार की योजनाओं और मजबूत कानूनों के चलते ऐसी कारवाई अब और भी तेज और व्यापक तरीके से होती रहेगी।