भूमि रजिस्ट्री के नियमों में लगातार बदलाव होते रहते हैं ताकि विवादों को कम किया जा सके और कानून व्यवस्था को मजबूत बनाया जा सके। हाल ही में सरकार ने भूमि रजिस्ट्री से जुड़े एक नए नियम की घोषणा की है, जिसने लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। इस नियम के अनुसार, अगर आपने अपनी जमीन की रजिस्ट्री कराई है, तो तय समयसीमा के अंदर उसका म्यूटेशन (नामांतरण) कराना अनिवार्य हो गया है। अगर आप 30 दिन के भीतर म्यूटेशन नहीं कराते हैं तो आपकी रजिस्ट्री अमान्य भी हो सकती है।
पूरे देश में संपत्ति विवाद एक बड़ी समस्या है और इसका सबसे बड़ा कारण कागजों में देरी या लापरवाही है। सरकार चाहती है कि जनसामान्य को बेवजह के कानूनी झंझटों से मुक्ति मिले और हर व्यक्ति की संपत्ति पूरी तरह सुरक्षित रहे। नए नियम की घोषणा इसी दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।
Land Registry New Rules
सरकार की ओर से जारी नए निर्देशों के अनुसार, जमीन की बिक्री-पर्चा या रजिस्ट्री होने के सिर्फ 30 दिन के अंदर-अंदर म्यूटेशन की प्रक्रिया पूरी करनी होगी। म्यूटेशन का अर्थ है जमीन के कागजात में मालिकाना हक का नामांतरण अर्थात नई रजिस्ट्री के बाद सरकारी अभिलेखों में नए मालिक का नाम दर्ज कराना। अगर 30 दिन के भीतर यह कार्य नहीं कराया गया तो संबंधित रजिस्ट्री को कानूनी तौर पर मान्यता नहीं मिलेगी। इससे फायदे की जगह नुकसान भी हो सकता है।
इस नए प्रावधान के लागू होने का मुख्य उद्देश्य यह है कि खरीदार को तुरंत अपनी संपत्ति का पूर्ण अधिकार मिल जाए और पूरी रजिस्ट्री प्रक्रिया पारदर्शी और सुरक्षित रहे। कई बार लोग रजिस्ट्री तो करा देते हैं लेकिन नामांतरण (म्यूटेशन) की प्रक्रिया को टालते रहते हैं, जिससे बाद में विवाद और धोखाधड़ी की संभावना बढ़ जाती है। अब इस प्रावधान से जमीन खरीदने वाला व्यक्ति सावधान होगा।
नया नियम किस योजना के अंतर्गत लागू हुआ?
सरकार ने यह नया नियम भूमि सुधार और डिजिटल रिकॉर्ड को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बनाया है। सरकार की मंशा है कि आने वाले समय में हर संपत्ति के दस्तावेज डिजिटल रूप से सुरक्षित रहें, जिससे पारदर्शिता बढ़े और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगे। इस नियम के लागू होने से कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति का लेनदेन पूरी तरह कानून के दायरे में रहकर कर सकेगा।
इस योजना के अंतर्गत सरकार ने म्यूटेशन प्रक्रिया को भी और अधिक सरल बनाया है। अब कई जगहों पर ऑनलाइन म्यूटेशन की सुविधा भी उपलब्ध है, जिससे जनता को बार-बार पटवारी या सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। यह कदम आम नागरिकों के लिए बड़ी राहत है।
किसे, कब और कैसे कराना होगा म्यूटेशन?
जमीन खरीदने के बाद जितनी जल्दी हो सके, म्यूटेशन के लिए आवेदन करना जरूरी है। आवेदन के लिए आपको निर्धारित शुल्क, आपकी रजिस्ट्री की प्रति, पहचान पत्र और अन्य जरूरी दस्तावेज संबंधित तहसील ऑफिस या ऑनलाइन पोर्टल पर जमा करने होते हैं। प्रक्रिया काफी सीधी है और सरकारी कर्मचारी पूरे कार्य में आपकी मदद भी करते हैं।
अगर आप तय 30 दिनों के भीतर म्यूटेशन नहीं करवाते हैं तो रजिस्ट्री अमान्य हो सकती है और भविष्य में आपको भूमि संबंधी समस्या या विवाद का सामना करना पड़ सकता है। बहुत सी बार बैंकों में ऋण लेने, मकान बनाने या नई रजिस्ट्री के समय म्यूटेशन प्रमाणपत्र की जरूरत पड़ती है। ऐसे में बेहतर रहेगा कि समय रहते यह प्रक्रिया पूरी की जाए।
म्यूटेशन न कराने पर क्या हो सकता है नुकसान?
अगर आपने 30 दिन के अंदर म्यूटेशन नहीं कराया तो आपकी रजिस्ट्री अंकित तो रहेगी, लेकिन ज्यादातर कानूनी या सरकारी कामों में वह असरदार नहीं मानी जाएगी। भविष्य में भूमि का हक आपके नाम पर दर्ज नहीं होगा और दूसरी बार यदि किसी ने फर्जीवाड़ा किया, तो विवाद की आशंका काफी बढ़ जाएगी। इसके अलावा बैंकों से लोन, बिक्री या किसी सरकारी योजना का लाभ लेने में मुश्किलें आ सकती हैं।
निष्कर्ष
सरकार का यह फैसला आम नागरिकों के हक की रक्षा और संपत्ति विवाद कम करने के लिए लिया गया है। 30 दिन के भीतर म्यूटेशन करवाने से आपकी जमीन पर आपका अधिकार पूरी तरह सुरक्षित रहता है और भविष्य में किसी प्रकार की समस्या अथवा सरकारी अड़चन का सामना नहीं करना पड़ता। अतः हर जमीन खरीददार को चाहिए कि वह समयसीमा का पूरा ध्यान रखे और प्रक्रिया सही तरीके से पूरी कराए।