Property Rights: ससुर की 5 करोड़ की संपत्ति पर दामाद का 0% हक? हाईकोर्ट ने साफ कर दिया

Published On: August 1, 2025
Property Rights

ससुर की संपत्ति में दामाद के अधिकार को लेकर भारतीय समाज में लंबे समय से भ्रम बना हुआ है। अक्सर लोगों को लगता है कि शादी के बाद दामाद को भी ससुर की संपत्ति में किसी न किसी रूप में अधिकार या हिस्सा मिल जाता है। खासकर जब बेटियों को पिता की संपत्ति में बराबरी का हक मिला है, तब यह सवाल आम हो जाता है कि क्या दामाद भी उस संपत्ति का हकदार है या नहीं।

हाल ही में हाईकोर्ट के एक ऐतिहासिक फैसले के बाद इस मुद्दे पर फिर से बहस तेज हो गई है। अदालतों में कुछ मामलों में दामादों ने दलील दी कि वे अपनी पत्नी की देखभाल करते हैं, इसलिए उनको ससुर की संपत्ति में हिस्सा मिलना चाहिए। लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल विवाह संबंध के आधार पर दामाद को ससुर की संपत्ति में कोई कानूनी अधिकार नहीं मिलता।

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हाईकोर्ट ने अपने फैसले में साफ-साफ कहा है कि दामाद का अपने ससुर की संपत्ति पर न तो कोई स्वतः (ऑटोमेटिक) और न ही कोई जन्मसिद्ध अधिकार होता है। इसका मतलब है कि चाहे दामाद इकलौता हो या वह लंबे समय से ससुराल में रह रहा हो, केवल दामाद होने के आधार पर ससुर की संपत्ति का मालिक नहीं बन सकता।

कानून के मुताबिक, उत्तराधिकार की लिस्ट में सबसे पहला अधिकार मृतक की संतान—बेटा, बेटी, पत्नी और मां को होता है। ससुर की संपत्ति में दामाद को तभी हक मिल सकता है, जब ससुर अपनी इच्छा से उसके नाम वसीयत (Will) लिख दें या गिफ्ट डीड यानी उपहार के रूप में दामाद को संपत्ति सौंप दें।

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के अनुसार, दामाद को केवल अपनी पत्नी के जरिए ही संपत्ति में लाभ हो सकता है—जैसे अगर बेटी को अपने पिता से संपत्ति मिलती है और वह उसे अपने पति (दामाद) को ट्रांसफर कर दे। लेकिन स्वयं दामाद को ससुर की संपत्ति में अधिकार नहीं है।

हाईकोर्ट में हाल की सुनवाई में दामाद ने तर्क दिया था कि उसने अपनी पत्नी और बच्चों की देखभाल में योगदान दिया है; लेकिन कोर्ट ने यह दलील खारिज की और कहा कि न तो आर्थिक योगदान, न ही वैवाहिक संबंध, दामाद को ससुर की संपत्ति का दावेदार बनाते हैं। यदि दामाद जबरदस्ती या धोखे से संपत्ति हड़पने की कोशिश करता है तो यह अपराध की श्रेणी में आता है और उस पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

क्या कोई सरकारी स्कीम या विशेष योजना है?

यह विषय किसी सरकारी योजना, सब्सिडी या सहायता से जुड़ा हुआ नहीं है। बल्कि, यह भारतीय उत्तराधिकार और संपत्ति के अधिकारों का कानूनी प्रावधान है, जिसे समाज में स्पष्टता और अनुशासन बनाए रखने, तथा विशेषकर महिलाओं के संपत्ति अधिकारों की रक्षा के लिए लागू किया गया है। सरकार का उद्देश्य यह है कि परिवारों में भेदभाव, भ्रम या विवाद की स्थिति न बने और संपत्ति वितरण पूरी तरह से नियमों के अनुसार हो।

किन हालात में मिल सकता है अधिकार?

  • यदि ससुर अपनी संपत्ति की वसीयत में दामाद का नाम लिख दें।
  • अगर ससुर अपनी संपत्ति गिफ्ट डीड के जरिए दामाद को दे दें।
  • यदि बेटी (दामाद की पत्नी) को संपत्ति का हिस्सा मिला हो और वह भविष्य में तलाक, मृत्यु या अपनी मर्जी से वह संपत्ति दामाद को ट्रांसफर कर दे।
  • अगर बेटी की असमय मृत्यु हो जाए और उसके कोई संतान न हो, तब उत्तराधिकार कानून के अनुसार पति (दामाद) को पत्नी की संपत्ति में हिस्सा मिल सकता है।

ध्यान रखें, यदि ससुर ने किसी दस्तावेज के जरिए संपत्ति दामाद को दी है और यह साबित हो जाता है कि यह दबाव या धोखे में कराया गया है, तो ससुर कोर्ट के जरिए उस ट्रांसफर को चुनौती भी दे सकते हैं।

निष्कर्ष

हाईकोर्ट के हालिया फैसले से यह पूरी तरह साफ हो गया है कि दामाद का ससुर की संपत्ति पर कोई सीधा या स्वतः कानूनी हक नहीं है। दामाद को संपत्ति वही मिलेगी, जब ससुर अपनी मर्जी से वसीयत या गिफ्ट के ज़रिए संपत्ति ट्रांसफर करते हैं। यह फैसला भविष्य में संपत्ति विवादों को रोकने के लिए जरूरी और समाज में स्पष्टता लाने वाला है।

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