PM Kisan Subsidy Yojana: कृषि यंत्रों पर मिल रही ₹1.20 लाख तक की सब्सिडी, तुरंत करें आवेदन

Published On: August 2, 2025
Pm kisan subsidy yojana

किसानों के लिए कृषि यंत्रों पर 1.20 लाख रुपये तक की सब्सिडी देने की योजना ने कृषि क्षेत्र को आधुनिक बनाने और किसानों की आर्थिक सहायता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस योजना के तहत किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले कृषि यंत्र और मशीनरी कम कीमत पर उपलब्ध कराई जाती है। इससे खेती के काम में आसानी होती है, उत्पादन बढ़ता है और किसानों की लागत में कमी आती है। सरकार की इस पहल से ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है और किसान अपनी उपज बढ़ाने में सक्षम हो रहे हैं।

इस योजना का मकसद किसानों को खेती के पारंपरिक तरीकों से हटाकर आधुनिक तकनीक से जोड़ना है। इससे न केवल उत्पादन में वृद्धि होती है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी सहायता मिलती है। धान, गेहूं जैसे फसलों की कटाई के बाद सीधे नई फसल की बुआई बिना जुताई के हो पाती है। ये यंत्र खेत में बची हुई पराली को मिट्टी में मिलाकर प्राकृतिक खाद में परिवर्तित करते हैं, जिससे पराली जलाने की समस्या से भी छुटकारा मिलता है।

PM Kisan Subsidy Yojana

यह योजना विशेष रूप से किसानों को खेती के लिए प्रभावी और टिकाऊ यंत्र खरीदने में मदद करने के लिए सरकार द्वारा शुरू की गई है। इस योजना के तहत किसानों को सुपर सीडर, स्मार्ट सीडर, हैप्पी सीडर जैसे आधुनिक कृषि यंत्रों पर 40% से 50% तक की सब्सिडी मिलती है, जो कि करीब 85,000 रुपये से लेकर 1.20 लाख रुपये तक हो सकती है। इन यंत्रों की कीमत सामान्यत: 2 लाख से 3.5 लाख रुपये के बीच होती है।

सरकार कृषि अभियांत्रिकी विभाग के माध्यम से इस योजना को लागू कर रही है। इस योजना के अंतर्गत खेती की तैयारी, बुआई, फसल कटाई और पराली प्रबंधन जैसे कार्यों में मदद मिलती है। साथ ही, भूमि की सेहत को बनाये रखने में भी ये यंत्र सहायक हैं। सब्सिडी की ये राशि किसान की श्रेणी, जमीन के आकार और जोत के प्रकार के आधार पर तय होती है।

योजना के प्रमुख लाभ

इस योजनाम के तहत किसानों को सबसे बड़ा लाभ यह मिलता है कि वे महंगे कृषि यंत्रों को कम लागत में प्राप्त कर सकते हैं। इससे कार्य करने की क्षमता बढ़ती है, जिससे समय की बचत होती है और मशीनों के द्वारा खेती की गुणवत्ता में सुधार आता है। इससे फसल की पैदावार बढ़ती है, खेती की लागत घटती है और पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है।

पराली जलाने की समस्या इस योजना द्वारा काफी हद तक कम हो जाती है, क्योंकि यह यंत्र पराली को खाद में बदलने का काम करते हैं। इससे हवा प्रदूषण कम होता है और किसानों को जुर्माना भरने से बचाया जाता है। योजना के माध्यम से कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा मिल रहा है, जो किसानों की आजीविका को मजबूत बनाता है।

आवेदन की प्रक्रिया

इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को संबंधित राज्य के कृषि अभियांत्रिकी विभाग की आधिकारिक ई-पोर्टल पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होता है। उदाहरण के रूप में, मध्यप्रदेश में ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर पंजीकरण कर आवेदन किया जा सकता है। यदि किसान पहले से पंजीकृत नहीं हैं, तो उन्हें आधार आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन करना होगा।

आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेजों में आधार कार्ड, भूमि रिकॉर्ड, बैंक खाता विवरण और अन्य पहचान प्रमाण शामिल होते हैं। आवेदन के साथ किसानों को डिमांड ड्राफ्ट (डीडी) की स्कैन प्रति भी अपलोड करनी होती है, जो आवेदन के समय आवश्यक होती है। डीडी की राशि यंत्र की कीमत और सब्सिडी के अनुसार निर्धारित की जाती है।

इसके बाद, आवेदन प्रक्रिया पूर्ण होने पर राज्य सरकार के द्वारा किसानों का चयन लॉटरी या मेरिट के आधार पर किया जाता है। चयनित किसानों को सब्सिडी की राशि सीधे उनके बैंक खातों में ट्रांसफर कर दी जाती है, जिससे वे आसानी से कृषि यंत्र खरीद सकते हैं।

योजना से जुड़ी अन्य जानकारियाँ

इस योजना में पुरुष, महिला दोनों किसान लाभार्थी हो सकते हैं। इसके अलावा, किसानों के वर्ग, उनकी जमीन की जोत श्रेणी के आधार पर भी सब्सिडी की राशि तय होती है, जिससे हर किसान को उसके अनुसार सहायता मिल सके।

योजना में शामिल यंत्रों की सूची में पावर टिलर, मल्टी क्रॉप थ्रेशर, बेलिंग मशीन, सेल्फ प्रोपेल्ड रीपर, मिनी दाल मिल, ट्रैक्टर माउंटेन स्प्रेयर, आलू खुदाई और बोने की मशीनें आदि शामिल हैं। किसान इन यंत्रों को लेकर खेती के हर चरण को आधुनिक बना सकते हैं।

सरकार इस योजना के जरिए खेती को पर्यावरण के अनुकूल बनाने का भी प्रयास कर रही है। इससे खेती में पानी की बचत होती है और जमीन की उर्वरता बनी रहती है।

निष्कर्ष

कृषि यंत्रों पर 1.20 लाख रुपये तक की सब्सिडी योजना किसानों के लिए खेती को आसान, सस्ता और लाभकारी बनाती है। सरकारी सहायता से किसान आधुनिक यंत्र प्राप्त कर अपनी उपज बढ़ा सकते हैं और आर्थिक रूप से सशक्त बन सकते हैं। इस योजना का पूर्ण लाभ उठाने के लिए किसान अपने राज्य के कृषि विभाग की वेबसाइट पर जाकर जल्दी आवेदन करें।

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