1 अगस्त से निजी स्कूलों में फीस पर लगाम – सरकार ने तय की अधिकतम लिमिट

Published On: July 30, 2025
School Fee Limit Regulation

1 अगस्त से निजी स्कूलों में फीस पर नया नियंत्रण कानून लागू होने जा रहा है, जिससे अभिभावकों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। लंबे वक्त से परिवार निजी स्कूलों की बढ़ती हुई फीस को लेकर चिंतित थे, क्योंकि फीस में अनियमित और मनमानी बढ़ोतरी से उनकी आर्थिक हालत पर दबाव बढ़ रहा था। सरकार ने इस समस्या को देखते हुए निजी स्कूलों की फीस बढ़ोतरी के लिए अधिकतम सीमा तय की है। यह कदम शिक्षा को सभी के लिए सस्ता और सुलभ बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है।

सरकार ने इस कानून के तहत निजी स्कूलों को फीस बढ़ाने के लिए सख्त नियम बनाए हैं। अब स्कूल बिना अनुमति फीस नहीं बढ़ा सकेंगे। इस पहल से बेरोकटोक फीस वसूली पर लगाम लगेगी और अभिभावक बच्चों की शिक्षा के खर्च को बेहतर तरीके से नियंत्रित कर सकेंगे। यह पहल खासकर मिडिल क्लास और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को मददगार साबित होगी, जो अक्सर फीस बढ़ोतरी के कारण बच्चों की पढ़ाई बंद करने को मजबूर हो जाते थे।

1 अगस्त से निजी स्कूलों में फीस नियंत्रण: क्या है इस कानून का मकसद?

इस नए नियम का मुख्य मकसद निजी स्कूलों द्वारा मनमानी तरीके से फीस में बढ़ोतरी को रोकना है। इसमें स्कूलों के लिए अधिकतम फीस सीमा निर्धारित की गई है, ताकि वे अभिभावकों से बिना उचित कारण फीस न बढ़ा सकें। फीस बढ़ोतरी के लिए स्कूल को पहले एक नियामक कमेटी से मंजूरी लेनी होगी।

यह कमेटी स्कूल, अभिभावकों और सरकारी अधिकारी से मिलकर बनेगी, जो बढ़ोतरी के कारणों को परखकर यह तय करेगी कि बढ़ोतरी जायज है या नहीं। यदि कमेटी अनुमति देगी, तभी स्कूल फीस बढ़ा पाएंगे और इस बढ़ोतरी की वैधता तीन साल तक बनी रहेगी। इस दौरान स्कूल फीस में बार-बार मनमानी तरिके से वृद्धि नहीं कर सकेगा।

सरकार ने कुछ-कुछ राज्यों में इस तरह के कानून पहले भी बनाए थे, पर 1 अगस्त से लागू होने वाला नियम देश भर में इस दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। यह नियम केवल स्कूल की ट्यूशन फीस तक सीमित नहीं होगा, बल्कि एडमिशन फीस, स्मार्ट क्लास फीस, खेलकूद शुल्क समेत अन्य सभी तरह के शुल्कों पर भी लागू होगा।

इस क़ानून के अंतर्गत अगर कोई स्कूल नियमों का उल्लंघन करता है तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी जिसमें दंड भी शामिल है। अभिभावकों को अब फीस वसूली में पारदर्शिता मिलेगी और उन्हें अनावश्यक मनमानी फीस से बचाव होगा।

इस कानून से जुड़ी प्रमुख बातें और सरकार की भूमिका

सरकार ने लंबे समय से बढ़ती फीस की शिकायतों को लेकर अभिभावकों और शिक्षा समुदाय से प्राप्त फीडबैक को ध्यान में रखते हुए यह पहल की है। इसके अंतर्गत:

  • हर स्कूल को फीस बढ़ोतरी के प्रस्ताव को नियामक कमेटी के सामने रखना होगा।
  • कमेटी में स्कूल प्रशासन, जिला शिक्षा अधिकारी, और अभिभावक प्रतिनिधि शामिल होंगे, ताकि फैसलों में सभी की राय हो।
  • फीस बढ़ोतरी के प्रस्ताव को केवल उचित कारण मिलने पर ही मंजूरी मिलेगी, जिससे स्कूल अनावश्यक वृद्धि से बचेंगे।
  • फीस नियमन अधिनियम के उल्लंघन पर स्कूलों पर जुर्माना और 6 महीने तक की जेल की सजा जैसे प्रावधान भी शामिल किए गए हैं।

यह क़ानून सरकार द्वारा अभिभावकों के वित्तीय बोझ को कम करने और शिक्षा के क्षेत्र में उचित नियंत्रण बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे निजी स्कूलों की फीस बढ़ोतरी की प्रक्रिया पारदर्शी और नियंत्रित होगी।

निजी स्कूल फीस पर लगाम: अभिभावकों के लिए इसका क्या मतलब?

इस नियम से अभिभावकों को सबसे बड़ी राहत यह मिलेगी कि वे अब बिना किसी डर के अपने बच्चों की शिक्षा का खर्च योजना बना सकेंगे। स्कूलों की अनाप-शनाप फीस वृद्धि अब संभव नहीं होगी।

अभिभावक फीस बढ़ोतरी के कारण बच्चों की पढ़ाई छोड़ने या स्कूल बदलने जैसे कठिन चुनावों से बचेंगे। साथ ही, फीस में पारदर्शिता के कारण बच्चा किस पैकेज में कितना शुल्क दे रहा है, इसका भी उन्हें पता रहेगा।

सरकार का यह कदम पेरेंट्स के वित्तीय तनाव को कम करने के साथ-साथ सरकार की शिक्षा नीति को अधिक समावेशी बनाने की दिशा में भी कार्य करेगा। मिडिल और लोअर मिडिल क्लास परिवारों को इस फैसले से सीधे लाभ मिलेगा, जिससे शिक्षा व्यवस्था में असमानता भी कम होगी।

Chetna Tiwari

Chetna Tiwari is an experienced writer specializing in government jobs, government schemes, and general education. She holds a Master's degree in Media & Communication and an MBA from a reputed college based in India.

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